१. मर्यादा- पुष्टि से काम विनाश
मर्यादा और पुष्टि का पालन न करने से काम का विनाश होता है। मर्यादा का पालन व्यक्ति को संयमित और व्यवस्थित जीवन जीने में सहायता करता है, जबकि मर्यादा का उल्लंघन विनाशकारी परिणाम ला सकता है।
२. सत्यव्रत वैवस्वत मनु और उनके वंश की कथा
सत्यव्रत वैवस्वत मनु सृष्टि के सातवें मनु हैं। उनके वंश में कई महान राजा और ऋषि उत्पन्न हुए। उनकी कथा सृष्टि की उत्पत्ति और विकास के महत्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाती है।
३. नाभाग और राजा अम्बरीष दुर्वासा वृत्तान्त
नाभाग और राजा अम्बरीष की कथा में भक्ति, संयम और भगवान के प्रति अटूट विश्वास को दर्शाया गया है। दुर्वासा ऋषि के क्रोध और अम्बरीष की भक्ति ने भगवान विष्णु को प्रसन्न किया और उन्होंने अम्बरीष की रक्षा की।
४. इक्ष्वाकु, मांधाता एवं सौभरी चरित्र
इक्ष्वाकु, मांधाता और सौभरी की कथा में उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाया गया है। इक्ष्वाकु सूर्यवंश के संस्थापक थे, मांधाता ने अपने शासन में धर्म और न्याय का पालन किया, और सौभरी ऋषि ने तपस्या और धैर्य के माध्यम से जीवन के सत्य को समझा।
५. सगर – चरित्र, भगीरथ – चरित्र और गंगावतरण
राजा सगर की कथा में उनके 60,000 पुत्रों की खोज और उनके द्वारा किए गए यज्ञ का वर्णन है। भगीरथ की तपस्या से गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ, जिससे उनके पूर्वजों का उद्धार हुआ।
६. भगवान् राम की लीलाओं के वर्णन का प्रारम्भ
भगवान राम की लीलाओं का वर्णन उनकी बाल्यावस्था से प्रारम्भ होता है। उनकी लीलाएं धर्म, न्याय, और मर्यादा का पालन करने की प्रेरणा देती हैं।
७. श्रीराम की बाल लीला
श्रीराम की बाल लीलाओं में उनके अद्वितीय गुणों और उनकी अद्भुत शक्तियों का वर्णन है। उनकी बाल लीला सभी के लिए प्रेरणादायक और मनमोहक है।
८. यज्ञ रक्षा हेतु विश्वामित्र के साथ जाना
विश्वामित्र ऋषि के यज्ञ की रक्षा के लिए श्रीराम और लक्ष्मण ने उनके साथ यात्रा की। इस दौरान उन्होंने ताड़का और सुबाहु जैसे राक्षसों का वध किया।
९. राजा जनक द्वारा स्वयंवर का आयोजन
राजा जनक ने सीता के स्वयंवर का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने शिव धनुष को तोड़ने की शर्त रखी। श्रीराम ने इस शर्त को पूरा कर सीता से विवाह किया।
१०. धनुष भंग एवं राम-विवाह
श्रीराम ने शिव धनुष को तोड़ा और सीता से विवाह किया। इस विवाह से अयोध्या में खुशी की लहर दौड़ गई।
११. कैकेयी – प्रसंग एवं राम-वन-गमन
कैकेयी के प्रसंग में उनके द्वारा दशरथ से दो वरदान मांगने और श्रीराम को वनवास भेजने की कथा है। इस घटना ने रामायण की कथा को नया मोड़ दिया।
१२. केवट प्रसंग
श्रीराम, सीता और लक्ष्मण केवट से गंगा पार करने के लिए सहायता मांगते हैं। केवट अपनी भक्ति और सेवा के माध्यम से भगवान की कृपा प्राप्त करता है।
१३. श्रीनारदजी द्वारा वाल्मीकि- उद्बोधन-प्रसंग
नारद मुनि ने वाल्मीकि को रामायण की कथा सुनाकर उन्हें रामकथा का लेखन करने के लिए प्रेरित किया। इस उद्बोधन से वाल्मीकि ऋषि ने रामायण की रचना की।
१४. सुमंत का अयोध्या वापस लौटना एवं दशरथ-मरण
सुमंत अयोध्या वापस लौटते हैं और दशरथ को राम के वनवास की सूचना देते हैं। इस दुखद समाचार से दशरथ का मरण हो जाता है।
१५. भरत चरित्र, भरतजी का श्रीराम को लौटाने वन जाना
भरतजी अपने भ्राता श्रीराम को वापस लाने के लिए वन जाते हैं। उनकी निष्ठा और प्रेम अद्वितीय है। श्रीराम उनके प्रेम से प्रभावित होकर भी अयोध्या लौटने से मना कर देते हैं।
१६. बन्धु प्रेम के आदर्श त्यागमूर्ति भरतजी का अयोध्या लौटना
भरतजी अपने भ्राता के आदेश का पालन करते हुए अयोध्या लौट आते हैं और श्रीराम की चरणपादुका को सिंहासन पर रखकर राज्य का संचालन करते हैं।
१७. सीता हरण एवं जटायु-मरण
रावण द्वारा सीता का हरण और जटायु द्वारा उनका बचाव करने की कोशिश में वीरगति प्राप्त करना इस कथा का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
१८. शबरी-प्रसंग
शबरी की भक्ति और प्रतीक्षा की कथा अत्यंत प्रेरणादायक है। श्रीराम ने उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर उसके आश्रम में आगमन किया और उसके जूठे बेर खाए।
१९. हनुमानजी का मिलना, सुग्रीव से मैत्री एवं बाली मरण
हनुमानजी की श्रीराम से भेंट, सुग्रीव से उनकी मैत्री और बाली का वध इस प्रसंग में वर्णित है। यह प्रसंग भक्ति, मित्रता और धर्म की विजय का प्रतीक है।
२०. लंका दहन एवं विभीषण की शरणागति
हनुमानजी द्वारा लंका का दहन और विभीषण की श्रीराम के शरण में आने की कथा इस प्रसंग का हिस्सा है। विभीषण ने धर्म का पालन करते हुए रावण का विरोध किया।
२१. रावण का वध एवं श्रीराम का सीताजी सहित अयोध्या आगमन
श्रीराम ने रावण का वध करके सीता को मुक्त कराया और उनके साथ अयोध्या लौटे। अयोध्या आगमन पर उनका भव्य स्वागत हुआ।
२२. श्रीकृष्ण का सेवा-भाव
श्रीकृष्ण का सेवा-भाव और उनके द्वारा किए गए अद्भुत कार्य उनकी महानता को दर्शाते हैं। उनकी कथा भक्ति और सेवा का महत्व बताती है।
२३. श्रीरामायण के सातों काण्डों का रहस्य
श्रीरामायण के सातों काण्डों का रहस्य और उनके अंतर्गत आने वाली कथाओं का वर्णन इस प्रसंग में किया गया है। प्रत्येक काण्ड में धर्म, भक्ति और निष्ठा का महत्व बताया गया है।
२४. राजा ययाति-देवयानी वृत्तान्त
राजा ययाति और देवयानी की कथा उनके जीवन के संघर्षों और उनकी धर्म के प्रति निष्ठा को दर्शाती है। ययाति की कथा हमें कर्म और उसके परिणाम का बोध कराती है।
२५. रतिदेव चरित्र एवं यदुवंश का उल्लेख
रतिदेव की कथा में उनकी अतुलनीय भक्ति और त्याग का वर्णन है। यदुवंश का उल्लेख भी इस प्रसंग में किया गया है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण का जन्म और उनके जीवन की घटनाएँ शामिल हैं।