भागवत पुराण: दशम स्कन्ध विवरण

पूर्वार्ध

१. प्रेमरस- प्रदायिनी श्रीकृष्ण-कथा की महत्ता

श्रीकृष्ण-कथा में प्रेम और भक्ति का रस भरा हुआ है। यह कथा हमें आत्मसमर्पण, प्रेम और ईश्वर के प्रति अटूट भक्ति का महत्व सिखाती है। श्रीकृष्ण की लीलाएं हर व्यक्ति के जीवन में प्रेम, भक्ति और आनंद का संचार करती हैं।

२. वसुदेव-देवकी-विवाह, आकाशवाणी तथा कंस के द्वारा देवकी की छह संतानों की हत्या

वसुदेव और देवकी के विवाह के समय हुई आकाशवाणी से कंस को अपनी मृत्यु का भय हुआ। कंस ने देवकी की छह संतानों की हत्या कर दी, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म इस दुनिया को अधर्म से मुक्त कराने के लिए हुआ।

३. भगवान् श्रीकृष्ण का प्राकट्य

श्रीकृष्ण का प्राकट्य अद्भुत और चमत्कारिक था। उन्होंने कारागार में जन्म लेकर अपने भक्तों को दर्शन दिए और कंस के अत्याचार से मुक्ति दिलाई।

४. गोकुल में भगवान् का जन्मोत्सव

भगवान श्रीकृष्ण के गोकुल में जन्म लेने के बाद वहाँ उत्सव मनाया गया। नंद और यशोदा के घर में भगवान का आगमन सभी को आनंदित कर गया।

५. भगवान् शिवशङ्कर का अवधूत वेश में बालकृष्ण का दर्शन

भगवान शिव ने अवधूत वेश में आकर बालकृष्ण के दर्शन किए। यह घटना दर्शाती है कि भगवान के प्रति भक्ति और प्रेम में कोई भी अंतर नहीं है।

६. पूतना उद्धार

पूतना राक्षसी ने बालकृष्ण को विषपान कराने का प्रयास किया, लेकिन भगवान ने उसकी लीला का अंत कर दिया और उसे उद्धार दिया।

७. शकट भञ्जन

बालकृष्ण ने अपनी बाल लीला में शकटासुर का वध किया। यह घटना उनकी अद्भुत शक्तियों और दिव्यता को प्रदर्शित करती है।

८. तृणावर्त उद्धार

तृणावर्त नामक राक्षस ने बालकृष्ण को उठाकर ले जाने का प्रयास किया, लेकिन भगवान ने उसे भी समाप्त कर दिया और अपनी लीला का प्रदर्शन किया।

९. नामकरण संस्कार एवं बाल लीला

श्रीकृष्ण का नामकरण संस्कार बड़ी धूमधाम से हुआ। इस अवसर पर उनकी बाल लीलाओं का वर्णन किया गया, जो सभी के लिए मनमोहक थी।

१०. मिट्टी खाने के बहाने यशोदाजी को श्री द्वारा अपने मुख में ब्रह्माण्ड-दर्शन

बालकृष्ण ने मिट्टी खाने के बहाने यशोदा मैया को अपने मुख में पूरा ब्रह्माण्ड दिखाया। यह घटना उनकी दिव्यता और अद्वितीयता को दर्शाती है।

११. कृष्णलीला से सहजिक समाधि

श्रीकृष्ण की लीलाएं सभी को सहजिक समाधि की अवस्था में ले जाती हैं। उनकी लीलाओं का स्मरण और अनुभव आत्मा को शांति और आनंद प्रदान करता है।

१२. मैया यशोदा का स्नेहपूरित वात्सल्य

यशोदा मैया का वात्सल्य और स्नेह श्रीकृष्ण के प्रति अद्वितीय था। उनकी ममता और प्रेम ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं को और भी मधुर बना दिया।

१३. श्रीकृष्ण का मूसल से बांधा जाना

यशोदा मैया ने बालकृष्ण को मूसल से बांध दिया, लेकिन उनकी लीला के कारण मूसल स्वयं ही टूट गया। यह घटना उनकी अद्वितीय शक्तियों को दर्शाती है।

१४. यमलार्जुन-उद्धार

श्रीकृष्ण ने यमलार्जुन वृक्षों को उखाड़कर उद्धार किया। इस घटना ने सभी को उनकी दिव्यता का अहसास कराया।

१५. सुखिया मालिन की श्रीकृष्ण-सेवा

सुखिया मालिन की भक्ति और सेवा ने भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न कर दिया। उनकी सेवा भाव सभी भक्तों के लिए प्रेरणादायक है।

१६. वृन्दावन लीला का आरम्भ, बकासुर और अषासुर उद्धार

वृन्दावन में श्रीकृष्ण की लीलाएं आरम्भ हुईं। उन्होंने बकासुर और अषासुर का उद्धार कर सभी को उनकी दिव्यता का अनुभव कराया।

१७. तपस्वी ब्रह्मथि शाण्डिल्य, पूर्णमासी और मधुमङ्गल का श्रीकृष्ण-प्रेम

तपस्वी ब्रह्मथि शाण्डिल्य, पूर्णमासी और मधुमङ्गल का श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति अद्वितीय थी। उनकी कथा हमें भक्ति और प्रेम का महत्व सिखाती है।

१८. ब्रह्माजी का मोह और उसका नाश

ब्रह्माजी ने श्रीकृष्ण की लीला का परीक्षण करने के लिए मोह किया, लेकिन भगवान ने अपने दिव्य स्वरूप से उनका मोह नाश कर दिया।

१९. धेनुकासुर-उद्धार एवं कालियपर कृपा

श्रीकृष्ण ने धेनुकासुर का उद्धार किया और कालिय नाग पर अपनी कृपा बरसाई। उनकी लीला ने सभी को आनंदित कर दिया।

२०. प्रलम्बासुर उद्धार एवं वेणु-गीत

प्रलम्बासुर का उद्धार और श्रीकृष्ण का वेणु-गीत सभी के लिए मनमोहक था। उनकी लीला ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

२१. इन्द्रयज्ञ-निवारण एवं गोवर्धन-धारण

श्रीकृष्ण ने इन्द्रयज्ञ को निवारण किया और गोवर्धन पर्वत को धारण कर सभी को आश्रय दिया। उनकी लीला ने सभी को सुरक्षा और शांति प्रदान की।

२२. वरुण लोक से श्रीनन्दजी को छुड़ाकर लाना

श्रीकृष्ण ने वरुण लोक से अपने पिता श्रीनन्दजी को छुड़ाया। उनकी अद्वितीय शक्तियों और भक्ति का यह अद्भुत प्रमाण था।

२३. चीरहरण लीला

श्रीकृष्ण ने गोपियों के चीरहरण की लीला की और उन्हें प्रेम और भक्ति का महत्व सिखाया। उनकी लीला ने सभी को प्रेम और भक्ति की शिक्षा दी।

२४. गोपियों के द्वारा दुर्वासा को भोजन एवं उससे शिक्षा

गोपियों ने दुर्वासा ऋषि को भोजन कराया और उनसे शिक्षा प्राप्त की। यह कथा भक्ति और सेवा का महत्व बताती है।

२५. रासलीला का प्रारम्भ और श्रीकृष्ण की काम-विजय

श्रीकृष्ण की रासलीला का प्रारम्भ और उनकी काम-विजय की कथा प्रेम और भक्ति का अद्वितीय उदाहरण है।

२६. श्रीकृष्ण का गोपियों को समझाना

श्रीकृष्ण ने गोपियों को प्रेम और भक्ति का महत्व समझाया। उनकी शिक्षा ने गोपियों को आत्मसमर्पण और प्रेम की राह दिखाई।

२७. गोपियों का पावन प्रेम

गोपियों का पावन प्रेम श्रीकृष्ण के प्रति अद्वितीय और अविरल था। उनका प्रेम भक्ति और समर्पण का अद्वितीय उदाहरण है।

२८. भगवान् का अन्तर्धान और गोपियों का बिरह

श्रीकृष्ण का अन्तर्धान और गोपियों का बिरह उनकी लीला का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह कथा प्रेम और विरह के अद्वितीय अनुभवों को दर्शाती है।

२९. गोपिका-गीत

गोपिका-गीत श्रीकृष्ण के प्रति गोपियों के प्रेम और भक्ति का अद्भुत उदाहरण है। उनकी भक्ति और प्रेम ने श्रीकृष्ण को प्रसन्न किया।

३०. श्रीकृष्ण का प्रकट होकर गोपियों को सान्त्वना देना एवं महारास

श्रीकृष्ण ने गोपियों को सान्त्वना दी और महारास किया। उनकी लीला ने सभी को प्रेम और भक्ति का अद्वितीय अनुभव कराया।

३१. सुदर्शन विद्याधर एवं शङ्खचूड़ का उद्धार एवं युगलगीत

श्रीकृष्ण ने सुदर्शन विद्याधर और शङ्खचूड़ का उद्धार किया और युगलगीत गाया। उनकी लीला ने सभी को आनंदित कर दिया।

३२. कंस का श्रीअक्रूरजी को गोकुल भेजना एवं अक्रूरजी की व्रज-यात्रा

कंस ने श्रीअक्रूरजी को गोकुल भेजा और उनकी व्रज-यात्रा का वर्णन किया। उनकी यात्रा ने श्रीकृष्ण के प्रति उनकी भक्ति और प्रेम को प्रदर्शित किया।

३३. श्रीकृष्ण-बलराम का मथुरा गमन एवं व्रज-गोपियों की विरह-दशा

श्रीकृष्ण और बलराम का मथुरा गमन और व्रज-गोपियों की विरह-दशा उनकी लीला का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह कथा प्रेम और विरह के अद्वितीय अनुभवों को दर्शाती है।

३४. मथुरा में रजकोद्धार, कुब्जा पर कृपा, धनुष- भङ्ग एवं कंस की घबड़ाहट

मथुरा में श्रीकृष्ण ने रजकोद्धार किया, कुब्जा पर कृपा की, धनुष भंग किया और कंस की घबड़ाहट को दर्शाया। उनकी लीला ने सभी को आनंदित कर दिया।

३५. चाणूर, मुष्टिक पहलवानों और कंस का उद्धार

श्रीकृष्ण ने चाणूर और मुष्टिक पहलवानों का वध किया और कंस का उद्धार किया। उनकी लीला ने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया।

३६. उग्रसेन को मथुरा के राज्य का अर्पण

श्रीकृष्ण ने उग्रसेन को मथुरा का राज्य अर्पित किया। उनकी लीला ने सभी को धर्म और न्याय का महत्व सिखाया।

३७. श्रीकृष्ण-बलराम का संदीपन ऋषि के आश्रम में गुरुकुल-प्रवेश

श्रीकृष्ण और बलराम का संदीपन ऋषि के आश्रम में गुरुकुल-प्रवेश उनकी शिक्षा और ज्ञान का महत्वपूर्ण हिस्सा है। उनकी शिक्षा ने उन्हें धर्म और न्याय का पालन करने के लिए प्रेरित किया।

३८. उद्धवजी की व्रज-यात्रा

उद्धवजी की व्रज-यात्रा और श्रीकृष्ण के प्रति उनकी भक्ति अद्वितीय है। उनकी यात्रा ने व्रजवासियों के प्रेम और भक्ति को दर्शाया।

३९. श्रीकृष्ण-विरह से व्यथित व्रज की दशा

श्रीकृष्ण के विरह से व्यथित व्रज की दशा और गोपियों का प्रेम उनकी लीला का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह कथा प्रेम और विरह के अद्वितीय अनुभवों को दर्शाती है।

४०. उद्धवजी तथा गोपियों की बातचीत एवं भ्रमरगीत

उद्धवजी और गोपियों की बातचीत और भ्रमरगीत श्रीकृष्ण के प्रति उनके प्रेम और भक्ति का अद्वितीय उदाहरण है। उनकी भक्ति और प्रेम ने श्रीकृष्ण को प्रसन्न किया।

४१. कुब्जा पर कृपा और अक्रूरजी का हस्तिनापुर जाना

श्रीकृष्ण की कुब्जा पर कृपा और अक्रूरजी का हस्तिनापुर जाना उनकी लीला का महत्वपूर्ण हिस्सा है। उनकी लीला ने सभी को प्रेम और भक्ति का महत्व सिखाया।


उत्तरार्ध

जरासंध से युद्ध, द्वारिकापुरी का निर्माण, कालयवन और मुचकुन्द की कथा, रुक्मिणी हरण, प्रद्युम्न का जन्म, भौमासुर का वध, श्रीकृष्ण के विवाह, उषा-अनिरुद्ध विवाह, दिनचर्या, सुदामा चरित्र, कुरुक्षेत्र के प्रश्न, वसुदेव को ब्रह्मज्ञान, अर्जुन द्वारा सुभद्रा हरण, वेदस्तुति

१. जरासंध से युद्ध, द्वारिकापुरी का निर्माण

भगवान श्रीकृष्ण ने जरासंध से १७ बार युद्ध किया और अंततः उसे हराकर द्वारिकापुरी का निर्माण किया। द्वारिका को अत्यंत सुंदर और सुरक्षित नगर बनाया गया, जो भगवान की अद्वितीय शौर्य और धैर्य का प्रतीक है।

२. कालयवन एवं मुचकुन्द की कथा

कालयवन राक्षस ने द्वारिका पर आक्रमण किया। भगवान श्रीकृष्ण ने उसे मुचकुन्द ऋषि की तपस्या भंग कर मार गिराया। मुचकुन्द ने भगवान के दर्शन किए और मोक्ष प्राप्त किया।

३. लक्ष्मी, महालक्ष्मी और अलक्ष्मी

लक्ष्मी देवी धन और समृद्धि की देवी हैं, महालक्ष्मी सृजन की शक्ति और ऐश्वर्य की देवी हैं, और अलक्ष्मी दरिद्रता और अशुभ की देवी हैं। तीनों का महत्व और प्रभाव जीवन में अद्वितीय है।

४. रुक्मिणी हरण एवं कृष्ण-रुक्मिणी-विवाह

भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का हरण कर उससे विवाह किया। रुक्मिणीजी का श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम और समर्पण अद्वितीय था। यह विवाह भक्ति और प्रेम का आदर्श उदाहरण है।

५. प्रद्युम्न का जन्म एवं भौमासुर का वध

प्रद्युम्न भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी के पुत्र थे। भगवान श्रीकृष्ण ने भौमासुर का वध कर १६,१०० कन्याओं को मुक्त किया और सभी से विवाह किया।

६. भगवान् श्रीकृष्ण के अन्यान्य विवाह

भगवान श्रीकृष्ण ने १६,१०८ कन्याओं से विवाह किया और सभी को सम्मान और प्रेम दिया। उनका जीवन भक्ति, प्रेम और समर्पण का आदर्श उदाहरण है।

७. उषा-अनिरुद्ध-विवाह

भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध ने बाणासुर की पुत्री उषा से विवाह किया। यह विवाह प्रेम और साहस का अद्वितीय उदाहरण है।

८. श्रीकृष्ण की दिनचर्या

भगवान श्रीकृष्ण की दिनचर्या बहुत ही नियमित और अनुशासित थी। उनकी दिनचर्या में धर्म, कर्म, प्रेम और भक्ति का अद्वितीय संतुलन था।

९. जरासंध वध, राजसूय यज्ञ एवं शिशुपाल का उद्धार

भगवान श्रीकृष्ण ने भीम द्वारा जरासंध का वध करवाया। राजसूय यज्ञ में शिशुपाल का उद्धार कर उसकी आत्मा को मोक्ष प्रदान किया।

१०. श्रीकृष्ण-सुदामा चरित्र

भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता अद्वितीय थी। श्रीकृष्ण ने सुदामा की दरिद्रता को दूर किया और अपनी मित्रता का आदर्श प्रस्तुत किया।

११. कुरुक्षेत्र में आये हुए माता-पिता के श्रीकृष्ण से प्रश्न, वसुदेवजी को ब्रह्मज्ञान और देवकी के छह पुत्रों को लौटा लाना

कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने माता-पिता के प्रश्नों का उत्तर दिया, वसुदेवजी को ब्रह्मज्ञान प्रदान किया और देवकी के छह पुत्रों को लौटा लाया। यह घटना उनकी दिव्यता और करुणा को दर्शाती है।

१२. अर्जुन द्वारा सुभद्रा-हरण

अर्जुन ने सुभद्रा का हरण कर उससे विवाह किया। यह कथा प्रेम और साहस का अद्वितीय उदाहरण है।

१३. वेदस्तुति

वेदों ने भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति की। वेदस्तुति भगवान की महिमा, दिव्यता और उनके प्रति भक्ति का अद्वितीय उदाहरण है।

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