Author name: BhagwatPuran

श्रीमद्‌भागवत स्कन्ध - संक्षिप्त

भागवत पुराण: चतुर्थ स्कन्ध विवरण

श्रीमद्भागवत महापुराण के चतुर्थ स्कन्ध में क्रियात्मक ज्ञान की आवश्यकता, चार पुरुषार्थ, सात शुद्धियाँ, स्वायम्भुव मनु की कन्याओं का वंश, भगवान शिव और दक्ष प्रजापति का मनोमालिन्य, सती की कथा, शारीर पञ्चायतन, ध्रुवाख्यान, अंग, वेन और पृथु के चरित्र, पुरञ्जनोपाख्यान, स्वामी विद्यारण्य पर माता गायत्री की कृपा, और प्रचेताओं को भगवान के वरदान और नारदजी के उपदेश शामिल हैं।

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श्रीमद्‌भागवत स्कन्ध - संक्षिप्त

भागवत पुराण: तृतीय स्कन्ध विवरण

श्रीमद्भागवत महापुराण के तृतीय स्कन्ध में विदुरजी, उनकी पत्नी सुलभा, और भगवान श्रीकृष्ण के प्रेम, विदुरजी के तीर्थाटन, मैत्रेय ऋषि के साथ उनकी भेंट, कश्यप ऋषि और दिति की कथा, जय-विजय का शाप, वराहावतार, कर्दम ऋषि और देवहूति की कथा, भगवान कपिल का जन्म, और भक्तियोग की महिमा का विस्तृत वर्णन किया गया है। यहां पर देह-गेह में आसक्त पुरुषों की अधोगति और देवहूति को तत्त्वज्ञान एवं मोक्षपद की प्राप्ति का भी विस्तार से उल्लेख है।

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श्रीमद्‌भागवत स्कन्ध - संक्षिप्त

भागवत पुराण: द्वितीय स्कन्ध विवरण

श्रीमद्भागवत महापुराण के द्वितीय स्कन्ध में पञ्चशुद्धि, परीक्षित की स्पर्श-दीक्षा, भगवान के स्थूल और सूक्ष्म रूप, भगवद्भक्ति, सृष्टि-वर्णन, लीला अवतार, ब्रह्माजी का भगवद्धाम-दर्शन, माया और उसके प्रकार का विस्तृत वर्णन प्रस्तुत किया गया है। धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान के लिए यह महत्वपूर्ण जानकारी है।

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श्रीमद्‌भागवत स्कन्ध - संक्षिप्त

भागवत पुराण: प्रथम स्कन्ध विवरण

श्रीमद्भागवत महापुराण के प्रथम स्कन्ध का विस्तृत विवरण, जिसमें मंगलाचरण का महत्व, परमात्मा का ध्यान और चिंतन, निष्काम भक्ति, भगवान के अवतारों का वर्णन, महर्षि व्यास का असंतोष, नारदजी का पूर्व चरित्र, भागवत के अधिकारी, युधिष्ठिर और अर्जुन की कथा, परीक्षित का जन्म, धृतराष्ट्र और गांधारी का वनगमन, कलियुग का आगमन, और शुकदेवजी का आगमन शामिल है। यह स्कन्ध भागवत कथा और भगवद्भक्ति के महात्म्य का अद्भुत संकलन है।

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श्रीमद्‌भागवत स्कन्ध - संक्षिप्त

श्रीमद्‌भागवत रहस्य और महात्म्य

श्रीमद्‌भागवत पुराण का महात्म्य-महिमा, श्रीकृष्ण की वन्दना, भक्ति, ज्ञान और कर्म मार्ग, परमात्मा के तीन स्वरूप, श्री शंकरजी का श्री शुकदेव के रूप में अवतार, बद्रिकाश्रम में ऋषियों का मिलन, गोकर्णोपाख्यान की कथा, संतोष, आत्मदान, धुंधकारी की प्रेत-योनी से मुक्ति, और श्रीमद्‌भागवत सप्ताह कथा की विधि का विस्तारपूर्वक वर्णन।

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